अल्पसंख्यकों को रिझा पाएगी बीजेपी? ‘सौगात-ए-मोदी’ कैंपेन से सियासी हलचल तेज – BJP will made a plan to woo minorities Political stir intensifies with launch of Saugat e Modi ntc
केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए एक और प्लान बनाया है, जिसे सौगात-ए-मोदी का नाम दिया गया है और दिल्ली से इस योजना का मंगलवार को शुभारंभ कर दिया है. इस योजना की शुरुआत के बाद विपक्षी नेताओं ने सरकार पर हमला कर निशाना साधा है.
सौगात-ए-मोदी का नाम सुनकर थोड़ी देर के लिए लग सकता है कि ये योजना सिर्फ मुस्लिमों के लिए है, मगर नहीं ये किट मुस्लिम सिख और ईसाई समुदाय के जरूरतमंदों को दी जा रही है. किट में खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ कपड़े, सेवई, खजूर, ड्राई फ्रूट्स और चीनी है. महिलाओं की किट में सूट का कपड़ा है. पुरुषों की किट में कुर्ता-पायजामा है. हर किट की कीमत करीब 500 से 600 रुपये बताई जा रही है.
बताया जा रहा है कि इस योजना के पीछे बीजेपी की ये कोशिश है कि वो मुस्लिमों से जुड़ सकें. इसीलिए बीजेपी का प्लान है कि पार्टी के 32 हजार पदाधिकारी, 32 हजार मस्जिदों में 32 लाख गरीब मुसलमानों को सौगात-ए- मोदी देंगे.
विपक्ष ने साधा निशाना
सौगात-ए-मोदी पर महाभारत छिड़ी हुई है, कोई इसे मुसलमानों के साथ छल बता रहा है तो कोई इसे चुनावी दांव बता रहा है. अखिलेश यादव समेत विपक्ष के कई नेता बीजेपी की इस योजना पर बिफरे हुए हैं. टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने तो इस योजना को मुसलमानों के साथ मजाक बताया है.
दिल्ली से बिहार तक हलचल
बीजेपी ने सौगात-ए-मोदी की शुरुआत दिल्ली से की है, मगर इसकी सबसे ज्यादा चर्चा बिहार में है. क्योंकि बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं और विपक्ष आरोप लगा रहा है कि मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए बीजेपी ने ये दांव चला है. हालांकि, विपक्ष के नेता ये भी कहते हैं कि ऐसी सौगातों से बीजेपी को बिहार में कोई फायदा नहीं मिलने वाला. जबकि बीजेपी का कहना है कि गरीब अल्पसंख्यक भी खुशी से अपना पर्व मनाएं इस लिए ये योजना चलाई गई है.
तेज प्रताप ने भी साधा निशाना
आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव तो यहां तक कह रहे हैं कि ये लोग चाहे जो बांट दें… इससे इनको किसी तरह का कोई लाभ नहीं मिलने वाला. इधर केंद्रीय मंत्री एलजेपी-आर के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सौगात ए मोदी पर कहा कि सभी को अपनी बात रखने का हक है.
मुस्लिम संगठनों ने किया बायकॉट
वहीं, बिहार में जैसे-जैसे चुनाव पास आता जा रहा है. यहां मतदाताओं को रिझाने के लिए नेता हर संभव कोशिश कर रहे हैं. रमजान के महीने में चुनावी इफ्तार पार्टी भी हो रहीं हैं. कल पटना में लालू यादव और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी हुई. उससे एक दिन पहले यानी 23 मार्च को नीतीश कुमार ने भी इफ्तार पार्टी दी थी, लेकिन नीतीश की इफ्तार पार्टी का मुस्लिम संगठनों ने बायकॉट कर दिया था. साथ ही चिराग की इफ्तार पार्टी में भी मुस्लिम संगठन नहीं शामिल हुए.
बता दें कि बिहार में मुस्लिम आरजेडी का बड़ा वोट बैंक हैं, लेकिन जेडीयू को भी मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिलता रहा है. बात अगर बिहार के मुस्लिम मतदाताओं के वोटिंग पैटर्न की करें तो बिहार के 18 फीसदी मुस्लिम आबादी में 2015 के विधानसभा चुनाव में NDA को 8 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने वोट दिया था, जबकि आरजेडी और जेडीयू को 78 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, 2019 से समीकरण बदल गए, कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन हुआ तो 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 6 फीसदी मुस्लिम वोट मिला था. जबकि आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन को 77 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे.
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 5 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को 76 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को 12 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस आरजेडी गठबंधन को 87 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे.
अब सवाल है कि क्या सौगात-ए-मोदी से मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की ओर होगा और क्या अब मुस्लिम बहुल सीटों पर भी कमल खिलेगा.