चमकती स्किन और एक्टिव ब्रेन का राज है अच्छी गट हेल्थ, एक्सपर्ट से जानिए क्या है गट-ब्रेन-स्किन एक्सिस – what is gut brain skin axis role of gut in glowing skin and active brain ntcpmm
हमारी आंतों का स्वास्थ्य यानी गट हेल्थ शरीर के तमाम अंगों को प्रभावित करता है. पहले तो आपको बता दें कि इंसानी आंत में 100 ट्रिलियन से भी ज्यादा सूक्ष्मजीव (माइक्रोऑर्गेनिज़्म) होते हैं, जिनके जीन इंसानी जीन की तुलना में 150 गुना ज्यादा होते हैं. यह विशाल तंत्र, जिसे अक्सर ‘दूसरा दिमाग’ कहा जाता है, हमारे पाचन, रोग प्रतिरोधक क्षमता, मेटाबॉलिज्म और ब्रेन एक्टिविटी में अहम भूमिका निभाता है.
क्या है आंत, दिमाग और स्किन का कनेक्शन
मेदांता मेडिसिटी एवं भारतीय बाल रोग अकादमी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व सीनियर डायरेक्टर पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेपटोलॉजी डॉ. नीलम मोहन बताती हैं कि एक स्वस्थ आंत माइक्रोबायोम न्यूरो ट्रांसमीटर को नियंत्रित करता है, जिससे हमारा मूड, ध्यान और मानसिक स्पष्टता प्रभावित होती है. यह सूजन को भी नियंत्रित करता है, जिससे मुंहासे (acne), एटॉपिक डर्मेटाइटिस, रोजेसिया और सोरायसिस जैसी त्वचा समस्याओं पर असर पड़ता है. अगर आंत का संतुलन बिगड़ जाए (जिसे डाइसबायोसिस कहते हैं), तो ये समस्याएं शुरू हो सकती हैं या बिगड़ सकती हैं.
डॉ नीलम मोहन कहती हैं कि एक स्वस्थ आंत सेरोटोनिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन को बढ़ाती है, जिससे ध्यान, याददाश्त और मूड में सुधार होता है. वहीं, खराब आंत से मानसिक धुंध (brain fog), चिंता और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिससे दिमागी क्षमता पर असर पड़ता है. डाइसबायोसिस को अब चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं से जोड़ा जा रहा है, जो आंत के मानसिक स्वास्थ्य में अहम भूमिका को दर्शाता है.
गट-ब्रेन-स्किन एक्सिस को समझिए
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के एडिशनल डायरेक्टर (गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) डॉ. रिंकश बंसल का कहना है कि Gut हेल्थ का त्वचा और दिमाग से रिश्ता बताते हुए कहते हैं कि इनके बीच एक गहरा कनेक्शन होता है. इसे गट-ब्रेन-स्किन एक्सिस कहते हैं. अगर आपकी आंत स्वस्थ है तो शरीर में सूजन कम होती है, जिससे पिंपल्स, एक्जिमा जैसी स्किन प्रॉब्लम्स से बचाव होता है. आंत का हेल्दी माइक्रोबायोम न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे सेरोटोनिन) को सपोर्ट करता है, जिससे मूड अच्छा रहता है और दिमाग अच्छे से काम करता है. बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है.
दिमाग पर भी सीधा असर डालती है गट हेल्थ
डॉ रिंकश कहते हैं कि स्वस्थ आंत में सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर बनते हैं, जिससे मूड बेहतर होता है, फोकस बढ़ता है और याददाश्त मजबूत होती है. खराब आंत से ब्रेन फॉग, डिप्रेशन और एंजायटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा, आंत के असंतुलन से पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे दिमाग का फंक्शन कमजोर पड़ता है और आपकी एकाग्रता और उत्पादकता पर बुरा असर पड़ता है.
सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ पीयूष रंजन का कहना है कि अगर आंत के बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ जाए, तो इसका असर आपकी त्वचा पर भी दिखाई दे सकता है. इससे एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं. कुछ खास आंत की बीमारियां जैसे इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) और सीलिएक डिजीज (गेहूं एलर्जी) से भी त्वचा पर चकत्ते या घाव हो सकते हैं.
ऑफिस में लंबे समय तक बैठने वाली जॉब और गट हेल्थ
लंबे समय तक बैठे रहने का सबसे बड़ा नुकसान है फैटी लिवर, जो वजन बढ़ने के कारण होता है. इसके अलावा, अपच (Dyspepsia) और कब्ज जैसी समस्याएं भी सुस्त लाइफस्टाइल के कारण बढ़ जाती हैं. इसके कारण कई बार लोग धूम्रपान और अनियमित खानपान शुरू कर देते हैं जिससे एसिडिटी और रीफ्लक्स डिजीज हो सकती है. वहीं, देर रात खाने की आदत से कब्ज बढ़ने का खतरा होता है.