जामा मस्जिद शम्सी या नीलकंठ महादेव मंदिर? जानिए बदायूं कोर्ट में सुनवाई के बाद हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दावे – Jama Masjid Shamsi or Neelkanth Mahadev Mandir Know claims of Hindu and Muslim sides after hearing Badaun court lclam
यूपी के बदायूं में स्थित जामा मस्जिद शम्सी (Jama Masjid Shamsi) को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. हिंदू पक्ष इस मस्जिद को नीलकंठ महादेव मंदिर (Neelkanth Mahadev Mandir) बता रहा है. इसको लेकर कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है. 3 दिसंबर को मस्जिद और मंदिर विवाद मामले में स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट में बहस हुई, लेकिन मुस्लिम पक्ष की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी. अब कोर्ट ने केस की सुनवाई की अगली तारीख 10 दिसंबर मुकर्रर की है. इस बीच दोनों पक्षों ने अपने-अपने दावों को दोहराया है.
दरअसल, कोर्ट को यह तय करना है कि जामा मस्जिद शम्सी को नीलकंठ महादेव मंदिर बताने वाली याचिका सुनवाई लायक है या नहीं. फिलहाल, कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने हिंदू पक्ष के वाद को खारिज करने के लिए बहस की, जिसमें उन्होंने ये तर्क दिया कि हिंदू महासभा इस केस में वादी बनने के लिए कानूनी हक ही नहीं रखती है.
जामा मस्जिद शम्सी इंतजामिया कमेटी के वकील असरार अहमद ने बताया कि ये मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है. यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है. हिंदू महासभा को इस मामले में याचिका दायर करने का अधिकार भी नहीं है. मस्जिद में पूजा-अर्चना की अनुमति देने का कोई औचित्य नहीं बनता है. जो मामला दर्ज किया गया है वह फर्जी है. यह शांति भंग करने के लिए किया गया है. दूसरे पक्ष का इस मस्जिद पर कोई अधिकार नहीं है.
मुस्लिम पक्ष के मुताबिक, सूफी विचारक बादशाह शमशुद्दीन अल्तमश जब बदायूं आए थे, तब उन्होंने यहां पर इबादत के लिए मस्जिद बनवाई थी. यहां पर कभी मंदिर या मूर्ति नहीं थी. अब जो दावे किए जा रहे हैं, वो झूठ है और सच्चाई के उलट हैं.
वहीं, नीलकंठ महादेव मंदिर के वादी मुकेश पटेल ने कहा कि उनको मुकदमे से हटाने के लिए पाकिस्तान से धमकी भरे फोन आ रहे हैं. लेकिन वो डरने वाले हैं. निडरता से केस लड़ेंगे और अपना पक्ष रखेंगे.
हिंदू पक्ष के एक अन्य वकील विवेक रेंडर का कहना है कि ये मस्जिद नहीं, वास्तव में नीलकंठ महादेव का मंदिर था. हमारी मुख्य मांग यही है कि हम लोगों को नीलकंठ महादेव मंदिर में पूर्व की भांति पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए. पहली याचिका 8 अगस्त 2022 को दायर की गई थी. बाद में सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई गई.
बकौल वकील- हमारे पास सभी पुख्ता सबूत हैं कि विवादित संपत्ति एक हिंदू मंदिर है और हमारे पास इस जमीन के प्रमाणित कागजात हैं, जो दिखाते हैं कि संपत्ति जामा मस्जिद शम्सी नहीं है. एएसआई के वकील ने पहले ही कोर्ट में अपने विचार/बयान प्रस्तुत कर दिए हैं.