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तहव्वुर राणा को फांसी दे पाएगा भारत का कानून? मानने होंगे प्रत्यर्पण संधि के ये नियम – Tahawwur Rana brought to india Indian law be able to hang rules of extradition treaty have to be followed ntc


मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया गया. तहव्वुर राणा वही शख्स है जिसने मुंबई हमले का प्लान तैयार किया था. तहव्वुर को भारत लाने की एक लंबी प्रक्रिया के खत्म होने के बाद अब उसको सज़ा दिलवाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. तहव्वुर राणा को लेकर एक स्पेशल फ्लाइट गुरुवार की शाम सवा 6 बजे पालम एयरपोर्ट पर उतरी तो सबसे पहले NIA की टीम ने उसे 26/11 मुंबई हमले के आरोप में गिरफ्तार किया और इसके बाद एयरपोर्ट पर ही उसका मेडिकल टेस्ट किया गया. उसे सीधे कोर्ट ले जाया गया, जहां वरिष्ठ वकील दयान कृष्णन ने NIA का पक्ष रखा. पूछताछ के लिए कस्टडी की अपील की.

26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले को कोई नहीं भूला है. इस हमले में शामिल कई आतंकियों को उनके किए की सज़ा मिल चुकी है, लेकिन इसके मास्टरमाइंड बचे हुए थे, और अब उनकी बारी आ गई है. करीब 16 वर्षों से जिस तहव्वुर राणा को भारत लाने के प्रयास हो रहे थे, क्या अब उसे फांसी दी जा सकेगी? इस सवाल का जवाब हर भारतीय जानना चाहता है. ऐसे में ये समझना जरूरी है कि तहव्वुर राणा का बचना बहुत मुश्किल है. उसके खिलाफ NIA एक ऐसा मजबूत केस तैयार कर रही है, जिससे जल्दी से जल्दी उसे सज़ा दिलाई जा सकेगी.

सूत्रों के मुताबिक NIA हेडक्वार्टर में तहव्वुर राणा से पूछताछ करने के लिए एक खास कमरा बनाया गया है, जिसमें केवल 12 लोगों को जाने की अनुमति है. इन 12 लोगों में NIA से जुड़े से बड़े अधिकारी और कुछ अन्य सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं. जिस किसी को भी अब तहव्वुर राणा से बात करनी होगी, उसे पहले NIA के अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी. NIA तहव्वुर राणा को 26/11 मुंबई हमले से जुड़ी कुछ खास तस्वीरें, Videos, ईमेल और कुछ Voice Recordings सुनाएगी और फिर उनसे जुड़े सवाल जवाब करेगी.

NIA की कोशिश है कि वो हेडली के साथ तहव्वुर के कनेक्शन को साबित करते हुए, तहव्वुर से जानकारियां निकाल सके. NIA के पास तहव्वुर और हेडली के बीच हुई फोन कॉल से जुड़े कुछ डेटा हैं और इसके आधार पर भी तहव्वुर राणा से पूछताछ की जाएगी. कसाब को लेकर देश के लोगों में जो गुस्सा था, वही नाराजगी तहव्वुर राणा को लेकर भी है. ज्यादातर लोग ये चाहते हैं कि तहव्वुर राणा को लेकर जल्दी से जल्दी और कड़ी से कड़ी सज़ा मिले. लोग ये भी चाहते हैं कि तहव्वुर राणा को फांसी की सज़ा मिले, लेकिन क्या आपको मालूम है कि तहव्वुर राणा जब तक भारत में रहेगा, तब तक भारत को उसका ख्याल किसी विदेशी मेहमान की तरह रखना होगा, क्योंकि उसके प्रत्यर्पण से जुड़े कुछ सख्त नियम तय किए गए हैं.

भारत और अमेरिका के बीच साल 1997 में हुई प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक भारत को 5 नियम मानना जरूरी है.

1. पहला ये कि तहव्वुर राणा पर 26/11 मुंबई हमले के अलावा किसी अन्य केस में सज़ा नहीं सुनाई जाएगी. यानी उस पर अन्य आतंकी हमलों के केस दर्ज नहीं किए जाएंगे.

2. दूसरा नियम ये है कि भारत तहव्वुर राणा को किसी अन्य देश को प्रत्यर्पित नहीं कर सकता. यानी भारत तहव्वुर राणा को किसी अन्य देश में नहीं भेज सकता. फिर चाहे कोई देश प्रत्यर्पण का कितना ही दबाव क्यों ना बनाए.

3. तीसरा नियम ये है कि तहव्वुर राणा की सुनवाई में पारदर्शिता रखी जाएगी. यानी तहव्वुर राणा को भी अपने पक्ष में सफाई देने का पूरा मौका मिलेगा और सज़ा मिलने पर वो भारत की ऊपरी अदालतों में भी अपील कर सकता है. इसका मतलब ये है कि तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने में जितना समय लगा है मुमकिन है कि उसको सज़ा देने में भी लंबा समय लगे.

4. चौथा नियम ये है कि तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद से उसकी सारी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी. उसके आने जाने, कपड़े, खाने पीने और रहने का पूरा इंतजाम भारत सरकार को करना होगा, और उसे ये भी सुनिश्चित करना होगा कि तहव्वुर राणा पूरी तरह से स्वस्थ रहे.

5. पांचवा नियम ये है कि भारत को अपने प्रत्यर्पण एक्ट 1962 का पालन करना होगा, जिसके तहत प्रत्यर्पण के जरिए लाए गए अपराधी को Counselor Access देना होगा और जरूरत होने पर उसके परिवार की उससे बात भी करानी होगी.

क्या तहव्वुर राणा को फांसी की सज़ा सुनाई जाएगी? 

प्रत्यर्पण के सभी नियमों का पालन करते हुए तहव्वुर राणा के खिलाफ सुनवाई होगी और इसमें एक बड़ा सवाल ये है कि क्या तहव्वुर को फांसी की सज़ा सुनाई जाएगी? आपको याद होगा कि अबू सलेम को पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाया गया था और प्रत्यर्पण संधि के तहत ये तय हुआ था कि उसे यहां मौत की सज़ा नहीं मिलेगी. हालांकि इस मामले में उसे उम्रकैद की सज़ा दी गई है और वो जेल में बंद है. अबू सलेम के मामले में उसकी गिरफ्तारी पुर्तगाल से हुई थी और पुर्तगाल में मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है, इसीलिए उसको फांसी की सज़ा नहीं दी गई. अब सवाल ये है कि तहव्वुर राणा के साथ क्या होगा तो इसके लिए हमें भारत और अमेरिका के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि को समझना होगा.

क्या कहता है नियम?

भारत और अमेरिका के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है उसके अनुच्छेद-8 की धारा 1 कहती है कि जिस अपराध में प्रत्यर्पण की मांग की गई है, अगर प्रत्यर्पण मांगने वाले देश में उस अपराध के तहत मौत की सज़ा का प्रावधान है और प्रत्यर्पित करने वाले देश में मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है, तो प्रत्यर्पण मांगने वाला देश दोषी को मौत की सज़ा नहीं दे सकता. पुर्तगाल में मौत की सज़ा का प्रवधान नहीं है, इसीलिए उनके साथ जो प्रत्यर्पण संधि है, उसके तहत सलेम को फांसी नहीं दी गई.

तहव्वुर राणा को फांसी देने में ये है पेच 

तहव्वुर राणा की बदकिस्मती ये है कि भारत और अमेरिका दोनों ही देशों में मौत की सज़ा का प्रावधान है. यानी दोनों ही देश अपराधियों को मौत की सजा देते हैं और नियमों के मुताबिक भारत भी तहव्वुर राणा को फांसी की सज़ा सुना सकता है, क्योंकि तहव्वुर को अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया है. लेकिन तहव्वुर राणा को फांसी देने में एक पेच ये भी है कि वो कनाडा का नागरिक है और कनाडा में मौत की सज़ा का प्रावधान नहीं है और ऐसा देखा गया है जब किसी देश में कनाडा के नागरिकों को फांसी की सज़ा सुनाई जाती है तो कनाडा उसके खिलाफ अपील करता है और मुमकिन है कि तहव्वुर के केस में भी वो ऐसा करे.

तहव्वुर को कड़ी सजा देगा भारतीय कानून

तहव्वुर राणा को भी ये बात पता है कि भारतीय कानून उसे कड़ी सज़ा जरूर देगा. साल 2020 में जब भारत ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की नई कोशिशें शुरू कीं तो तहव्वुर के बुरे दिन शुरू हो गए. अमेरिकी एजेंसियों ने भारत की दलीलों के देखते हुए, सबसे पहले तहव्वुर को गिरफ्तार किया, फिर उसके प्रत्यर्पण की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई. तहव्वुर को अपनी गिरफ्तारी के समय ही पता चल गया था कि इस बार भारतीय एजेंसियां पूरी तैयारी के साथ आई हैं, इसीलिए उसने अमेरिका की कई अदालतों में इस गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण को चुनौती दी, लेकिन तहव्वुर की किसी भी दलील को सही नहीं माना गया.



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