पोप फ्रांसिस के निधन पर भारत में तीन दिनों के राजकीय शोक का ऐलान, सरकारी भवनों पर तीन दिनों तक झुका रहेगा तिरंगा – Pope Francis Dies India Three Days State Mourning Indian Leaders Tribute NTC
दुनिया के बड़े धार्मिक नेता पोप फ्रांसिस का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में निधन हो गया. उनकी स्मृति में, भारत ने तीन दिवसीय राज्य शोक का ऐलान किया गया है, जो 22 अप्रैल से 24 अप्रैल तक चलेगा. इस दौरान, भारत के सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और किसी भी तरह के आधिकारिक मनोरंजन का आयोजन नहीं होगा.
पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से देश और दुनिया भर में शोक की लहर दौड़ गई. वे सामाजिक न्याय, करुणा और विनम्रता के प्रतीक के रूप में माने जाते थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस के निधन पर गहरा दुख जताया, और उन्हें ‘करुणा और आध्यात्मिक साहस के प्रतीक’ के रूप में याद किया.
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भारतीय नेताओं ने पोप फ्रांसिस को किया याद
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पोप की करुणा और बेहतर दुनिया के निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उनके पोपत्व की खास बातों में रही. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें खासतौर से गरीब और हाशिए पर मौजूद लोगों के प्रति उनकी सेवा के लिए याद किया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पोप के निधन को मानवता के लिए अपूरणीय क्षति बताया।. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सोशल मीडिया पर कहा कि पोप का जीवन गरीबों के लिए प्रेम और दुनिया के लिए आशा का संदेश था.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पोप फ्रांसिस के निधन पर शोक जाहिर करते हुए उन्हें धार्मिक सद्भावना के समर्थक और वैश्विक शांति और सद्भावना के लिए प्रेरणा के रूप में बताया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी पोप के निधन पर गहरा दुख जाहिर किया और उन्हें करुणा, न्याय और शांति की वैश्विक आवाज के रूप में याद किया.
पोप फ्रांसिस पहले गैर-यूरोपीय पोप थे, जिन्होंने लगभग 1300 सालों के अंतराल के बाद यह पद संभाला था. उन्होंने चर्च में अनेक सुधार किए और अपने जीवन में हमेशा से आखिरी पायदान के लोगों के मुद्दों पर जोर दिया. पोप फ्रांसिस के निधन से दुनियाभर में उनके अनुयायियों और प्रशंसकों के बीच गहरा शोक है.
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कहां के रहने वाले थे पोप फ्रांसिस?
17 दिसंबर, 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जन्मे जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो का पालन-पोषण एक साधारण परिवार में हुआ. शुरू में एक केमिस्ट के रूप में अपना करियर बनाने के बाद, वे धार्मिक कार्यों से जुड़ गए. 1958 में, उन्होंने सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट्स) में एंट्री की, और 1969 में उन्हें एक पुजारी नियुक्त किया गया. तब से उन्होंने वैश्विक कैथोलिक चर्च में कई अहम भूमिका निभाई.
पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार
पोप फ्रांसिस के पार्थिव शरीर को कार्डिनल्स के एक समूह की स्वीकृति मिलने तक बुधवार, 23 अप्रैल को सेंट पीटर्स बेसिलिका भेजा जा जा सकता है. 9-दिवसीय शोक के दौरान उनके पार्थिव शरीर को सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा जाएगा, जहां लोग पोप को अंतिम श्रद्धांजलि दे सकेंगे. इसके बाद उनका अंतिम संस्कार होगा, जो छह दिनों के भीतर होगा.