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महाकुंभ में अध्यात्म का उपदेश दे रहे मुमताज अली कौन हैं… आखिर कैसे बन गए श्री एम – Mumtaz Ali Khan known as shri m most popular spiritual leaders at Mahakumbh 2025 ntcpan


महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु रोज पहुंच रहे हैं. प्रयागराज मेला क्षेत्र में बनाए गए शिविरों में 13 प्रमुख अखाड़ों के अलावा साधु-संतों और कल्पवासियों के शिविर हैं. लेकिन इन सभी शिविरों के बीच कुंभ मेला क्षेत्र में एक मुस्लिम आध्यामिक गुरु का शिविर चर्चा का विषय बना हुआ, जिसमें रोज सैकड़ों की संख्या में देसी-विदेशी श्रद्धालु आते हैं. इन गुरु का नाम है मुमताज अली खान जिन्हें श्री एम के नाम से भी जाना जाता है. चलिए जानते हैं कि आखिर श्री एम कौन हैं और ये कैसे हिन्दुओं के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ का हिस्सा बन गए.

केरल के एक मुस्लिम परिवार में जन्म

केरल के त्रिवेंद्रम में 6 नवंबर 1949 को एक मुस्लिम परिवार में मुमताज अली खान का जन्म हुआ था, जिनकी बचपन से ही अध्यात्म में काफी रुचि थी. वह सिर्फ 19 साल की उम्र में घर छोड़कर हिमालय की गुफाओं में चले गए थे. यहां वह कई संतों के संपर्क में आए और इन्हीं से दीक्षा लेकर उन्होंने अध्यात्म की राह पकड़ ली. इसके बाद से ही उन्हें मुमताज अली की जगह श्री एम और मधुकर नाथ के नाम से पहचाना जाने लगा. श्री एम सत्संग फाउंडेशन चलाते हैं और उन्हें साल 2020 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

अपने आध्यात्मिक जीवन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस जन्म में तो यह सफर 8 साल की उम्र से शुरू हुआ था लेकिन मैं पुनर्जन्म में विश्वास रखता हूं. वह कहते हैं कि त्रिवेंद्रम में मेरे गुरु महेश्वरनाथ बाबा ने मुझे खोज निकाला था, कि कोई यहां ऐसा है जिसे अध्यात्म की शिक्षा देनी है, इससे जाहिर होता है कि हमारे बीच पिछले जन्म का कोई रिश्ता रहा होगा. वरना किसी आठ साल के बच्चे को कोई संत कैसे अध्यात्म जगत में आने के लिए प्रेरित कर सकता है. कहा ये भी जाता है महेश्वरनाथ बचपन की इस मुलाकात के बाद अदृश्य हो गए और करीब 10 साल फिर बद्रीनाथ की गुफाओ में उनसे मिले. लेकिन तब तक वह उनके जीवन में अध्यात्म की अलख जगा चुके थे. उन्होंने फिर से तीन साल अपने गुरु के साथ रहकर दीक्षा ली.

सत्संग फाउंडेशन के जरिए जनसेवा

अपने गुरु के दिखाए मार्ग पर चलते हुए श्री एम ने जो कुछ भी सीखा उसे दुनिया को बताने के मार्ग पर चल पड़े. इसके तहत ही उन्होंने सत्संग फाउंडेशन की स्थापना की जिसका मकसद सभी धर्मों के बाहरी आवरण से अलग उसके मूल की खोज करना है. उनका मानना है कि सिद्धांत किसी के काम के नहीं हैं बल्कि असली ज्ञान के लिए मूल में जाने की जरुरत है. सत्संग फाउंडेशन भी इसी मिशन पर काम करता है, जहां सभी धर्मों के साधकों की बैठकें और सत्संग आयोजित किए जाते हैं.

सत्संग फाउंडेशन के अलावा श्री एम देशभर में स्कूल, अस्पताल और जनकल्याण से जुड़े कार्यक्रम चलाते हैं. इसके अलावा उन्हें योग के क्षेत्र में भी महारत हासिल है. इसी मिशन को आगे बढ़ाने के मकसद से श्री एम महाकुंभ पहुंचे हैं जहां वह दुनियाभर से आने वाले श्रद्धालुओं को अध्यात्म मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनके शिविर में कई विदेशी श्रद्धालु भी आते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा हासिल करते हैं.

श्री एम ने कुछ दिन पहले इंडिया टुडे की ओर से आयोजित मुंबई कॉन्क्लेव में शिरकत की थी. इस दौरान उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों पर वापस जाइए, वहां आपको हर सवाल का जवाब मिलेगा. हिंदू शब्द तो अरबों ने गढ़ा है. भारत का धर्म तो सनातन है. ये सनातन संस्कृति है. हमें उपनिषद से सीखना चाहिए. दो हजार साल पहले हमारी संस्कृति ने हमें क्या सिखाया था, हमें उसका पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि हमें आज के समय में संस्कृत को जानने की जरूरत है जिसे लोग भूल चुके हैं. विज्ञान ने भी संस्कृत को माना है. संस्कृत को अनिवार्य कर देना चाहिए. 



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