रुपये का चलन, घोड़े और खजूर का व्यापार… पीएम मोदी की यात्रा से पहले जानिए कैसे रहे हैं भारत-कुवैत के बीच संबंध – pm modi kuwait visit after indira gandhi know the history and India Kuwait bilateral relations ntc
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 दिसंबर को कुवैत दौरे पर जाएंगे. 43 साल बाद यह पहला मौका होगा कि, किसी भारतीय पीएम का कुवैत में दौरा हो रहा है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को बताया कि इस यात्रा से भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक नया अध्याय शुरू होने की उम्मीद है. MEA के अनुसार, इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और अन्य क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा होगी. पीएम मोदी को यह निमंत्रण कुवैत के अमीर शेख मशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबाह ने दिया है. प्रधानमंत्री अपने दौरे में कुवैत के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से भी संवाद करेंगे. गौरतलब है कि कुवैत में भारतीय समुदाय सबसे बड़ा प्रवासी समूह है.
अरब देशों की यात्रा को तवज्जो दे रहे हैं पीएम मोदी
पीएम मोदी की कुवैत यात्रा तो खास है ही, साथ यह इस ओर भी ध्यान दिलाती है कि बीते दस सालों में जहां एक तरफ पीएम मोदी ने अन्य पश्चिमी देशों के साथ कई महत्वपूर्ण दौरे किए हैं, तो उन्होंने मिडिल ईस्ट को भी खास तवज्जो दी है. वह लगातार अरब देशों में जाते रहे हैं और कुवैत के इस दौरे के साथ वह 14वीं बार किसी अरब देश में पहुंचेंगे. उनकी पिछली अरब यात्राओं पर नजर डालें तो वह अब तक सात बार संयुक्त अरब अमीरात, दो-दो बार कतर और सऊदी अरब और एक-एक बार ओमान और बहरीन जा चुके हैं.
मिडिल ईस्ट से रिश्ते मजबूत कर रहा है भारत
ये यात्राएं दिखाती हैं कि पीएम मोदी दुनिया के ग्लोबल विलेज बनने के दौर में न सिर्फ मिडिल ईस्ट के महत्व को तवज्जो दे रहे हैं, बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता के इस दौर में भारत मिडिल ईस्ट के साथ अपने रिश्ते भी मज़बूत कर रहा है. इसके रिजल्ट के तौर पर देखा जा सकता है कि भारतीय विदेश नीति में मिडिल ईस्ट के अरब देश सबसे अहम रणनीतिक और कूटनीतिक प्राथमिकता के रूप में सामने आ रहे हैं. इस बात का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि अपने दस साल के कार्यकाल में पीएम रहे मनमोहन सिंह सिर्फ तीन बार मिडिल ईस्ट के अरब देशों के दौरों पर गए थे.
पीएम रहे मनमोहन सिंह, एक-एक बार क़तर, ओमान और सऊदी अरब गए थे. जबकि पीएम मोदी सभी अहम अरब देशों का दौरा कर चुके हैं और कुवैत की यात्रा के साथ इसमें एक और अहम देश जुड़ रहा है.
43 साल पहले इंदिरा गांधी ने की थी कुवैत यात्रा
1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कुवैत की ऐतिहासिक यात्रा की थी, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा थी. इस यात्रा का उद्देश्य भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना था. कुवैत भारत के लिए एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता रहा है, और दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में ऊर्जा क्षेत्र का विशेष महत्व है. बता दें कि भारत और कुवैत के बीच राजनयिक संबंध 1961 में स्थापित हुए थे, और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग इन संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.
भारत और कुवैत के बीच पुराने हैं व्यापारिक संबंध
भारत और कुवैत के बीच परस्पर सहयोगी संबंधों के इतिहास को खंगालते हैं तो सामने आता है कि ये संबंध कुवैत में तेल के अस्तित्व में आने से पहले से प्रगाढ़ रहा है. तेल की खोज से पहले कुवैत का भारत के साथ व्यापार खजूर और घोड़ों पर आधारित था. कुवैती नाविक शत्त-अल-अरब और भारत के पश्चिमी बंदरगाहों के बीच व्यापार के लिए सालाना यात्राएं करते थे. हालांकि, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद घोड़ों का व्यापार खत्म हो गया और इसके बाद कुछ समय तक मोती और सागौन जैसी इमारती लकड़ियां इस व्यापारिक संबंध के केंद्र में रहे थे.
1961 में भारत और कुवैत के बीच बने पहले राजनयिक संबंध
साल 1961 में भारत और कुवैत के बीच पहले राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद याकूब अब्दुलअजीज अल-रुशैद भारत में कुवैत के पहले राजदूत के तौर पर नियुक्त किए गए थे और भारत ही वह देश था, जिसने सबसे जल्दी कुवैत की आजादी को मान्यता भी दी थी. 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कुवैत ने भारत का समर्थन किया. 1950 और 1960 के दशक में मुंबई कई कुवैती व्यवसायों का केंद्र रही और यहां तक कि कुवैत के अमीर ने मरीन ड्राइव पर एक निवास भी बना रखा था. हालांकि, 1990 के दशक में इराक-कुवैत युद्ध के दौरान भारत के इराक-समर्थक रुख के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास भी आई थी.
भारत और कुवैत के बीच शीर्ष नेताओं के दौरे
भारतीय और कुवैती नेताओं के बीच रेग्युलर हाई लेवल दौरे होते रहे हैं जो द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में सहयोगी रहे हैं. 1965 में उपराष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन और फिर साल 2009 में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1981 में कुवैत की यात्रा की. वहीं, कुवैत के क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री शेख सबाह अल-सालेम अल-सबाह ने 1964 में भारत का दौरा किया.
कोविड-19 महामारी में सहयोग
कोविड-19 महामारी के दौरान भारत और कुवैत के बीच भी साझा सहयोग देखा गया. मई 2020 में भारत सरकार ने एक 15 सदस्यीय मेडिकल टीम और मेडिकल उपकरण कुवैत भेजे थे. दूसरी तरफ मई 2021 में भारत में कोविड की सेकेंड वेव के दौरान कुवैत ने भारत को लिक्विड ऑक्सीजन, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स और वेंटिलेटर्स जैसी इमरजेंसी मेडिकल हेल्प भेजी थी.
कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय
कुवैत में भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 10 लाख है, और यह सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है.भारतीय समुदाय कुवैत के औद्योगिक, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग फील्ड में व्हाइट कॉलर जैसे प्रोग्रेसिव जॉब सेक्टर में है. कुवैत की हेल्थ मिनिस्ट्री और मेडिकल फील्ड में भी, भारतीय डॉक्टर और पैरामेडिक्स काम कर रहे हैं. हालांकि, कुवैत में अवैध तरीकों से रह रहे भारतीयों की भी एक बड़ी संख्या है. ये वहां लो बजट जॉब में हैं.
आर्थिक संबंध और निवेश
कुवैत की अर्थव्यवस्था तेल की खोज से पहले समुद्री गतिविधियों और व्यापार पर निर्भर थी. कुवैत जहाज निर्माण का एक प्रमुख केंद्र था और मोती मछली पकड़ने और मछली पकड़ना महत्वपूर्ण व्यावसायिक गतिविधियां थीं. 1961 तक भारतीय रुपया कुवैत में कानूनी मुद्रा थी. 2011-12 में, भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय व्यापार $17.56 बिलियन था, जिसमें 44% की वृद्धि हुई. पेट्रोलियम इस व्यापार का बेस रहा है. 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार $13.8 बिलियन तक पहुंच गया, जो वार्षिक आधार पर 12.8% की वृद्धि दर्शाता है. भारतीय कंपनियां कुवैत के ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जबकि कुवैती कंपनियां भारत में निवेश कर रही हैं.
कुवैत एक छोटा, समृद्ध और अपेक्षाकृत खुला पेट्रोलियम आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश है. यह विश्व के कुल कच्चे तेल भंडार का लगभग 6% और प्रमाणित प्राकृतिक गैस भंडार रखता है. तेल से होने वाली आय राज्य की कुल आय का लगभग 94% है. कुवैत उपभोक्ता वस्तुओं और परियोजनाओं के निर्यात के लिए एक खुला, प्रतिस्पर्धात्मक और समृद्ध बाजार प्रदान करता है. परियोजनाओं के मामले में, यह जीसीसी देशों (यूएई, सऊदी अरब और कतर के बाद) में चौथा सबसे बड़ा बाजार है.
वर्ष 2022-23 के दौरान कुवैत को भारत से निर्यात किए गए प्रमुख उत्पाद: अनाज, कार्बनिक रसायन, विद्युत मशीनरी और उपकरण, वाहन और सिरेमिक उत्पाद.
वर्ष 2022-23 के दौरान कुवैत से भारत में आयात किए गए प्रमुख उत्पाद: खनिज ईंधन, कार्बनिक रसायन, विमान और उनके हिस्से, प्लास्टिक और लोहा तथा इस्पात (स्क्रैप).
भारत कुवैती तेल का सबसे बड़ा आयातक देशों में से एक है. ऊर्जा क्षेत्र द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण घटक है.कुवैत भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कच्चे तेल और एलपीजी का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बना हुआ है.
हाइड्रोकार्बन पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) की एक व्यवस्था है, जो नियमित रूप से बैठकें करता है.
रक्षा सहयोग का इतिहास
भारत और कुवैत के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंधों का मुख्य आधार नौसैनिक सहयोग है. 2022 में चार भारतीय नौसेना जहाजों ने कुवैत का दौरा किया. 2023 में, भारतीय राजदूत आदर्श स्वैका ने कुवैत के नौसेना प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल हज़्ज़ा अल-अलाती से मुलाकात की और नौसेना-से-नौसेना सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की. अगस्त 2023 में, भारतीय नौसेना का विध्वंसक जहाज आईएनएस विशाखापट्टनम अल-शुवैक बंदरगाह पर पहुंचा, जिसने दोनों देशों के बीच समुद्री सहयोग में एक नया अध्याय जोड़ा.
भारत और कुवैत संबंध एक नजर में
– 1981 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बाद ये किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला कुवैत दौरा होगा. यानी 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत पहुंच रहे हैं.
– इससे पहले साल 2009 में भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कुवैत का दौरा किया था, जो किसी भारतीय राजनेता का इंदिरा गांधी के दौरे के बाद से सबसे अहम कुवैत दौरा था.
– भारत और मध्य पूर्व के देशों के रिश्ते ऊर्जा सुरक्षा, सहयोग और कारोबार पर आधारित हैं.
– भले ही भारत और कुवैत के राष्ट्राध्यक्षों के दौरे सीमित रहे हैं लेकिन दोनों देशों के बीच मज़बूत कारोबारी और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं.
– कुवैत में तेल मिलने से पहले ही भारत और कुवैत के बीच समुद्री रास्ते से कारोबार होता था.
– ऐतिहासिक रूप से दोनों देशों के बीच रिश्ते दोस्ताना रहे हैं. 1961 तक कुवैत में भारत का रुपया चलता था.
– भारत और कुवैत के बीच साल 1961 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. शुरुआत में भारत ने कुवैत में ट्रेड कमिश्नर नियुक्त किया था.
– भारत और कुवैत के बीच राजनेताओं के उच्च स्तरीय दौरे होते रहे हैं. 1965 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन ने कुवैत का दौरा किया था.
– कुवैत के शीर्ष नेता भी भारत आते रहे हैं. साल 2013 में कुवैत के प्रधानमंत्री शेख जाबिर अल मुबारक अल हमाद अल सबाह ने भारत का दौरा किया था.
– इससे पहले साल 2006 में कुवैत के तत्कालीन अमीर शेख सबाह अल अहमद अल जाबेर अल सबाह भारत आए थे.
– भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में कुवैत का दौरा किया जबकि कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह अली अल याह्या 3-4 दिसंबर को भारत आए.इस यात्रा के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कुवैत आने का न्यौता दिया.
– दोनों देशों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने के लिए इसी महीने कुवैती विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान साझा सहयोग कमीशन (जेसीसी) भी स्थापित किया गया.