सरकारी फंड से चाय-नाश्ते और टेंट हाउस की उधारी चुकाई, स्टाफ को बांटी सैलरी! कांग्रेस विधायक बोले- आरोप बेबुनियाद – National President of Adivasi Congress and Jhabua MLA Dr Vikrant Bhuria accused of irregularities in voluntary grant amount lcln
कभी कांतिलाल भूरिया और उनके विधायक बेटे डॉ. विक्रांत भूरिया के करीबी रहे मथियास भूरिया ने मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष और कलेक्टर से शिकायत कर कांग्रेस के झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मथियास ने दावा किया कि विधायक ने स्वेच्छानुदान की राशि का दुरुपयोग कर चाय-नाश्ते, टेंट हाउस की उधारी चुकाने, पार्टी पदाधिकारियों, करीबी रिश्तेदारों और कार्यालय स्टाफ की सैलरी देने में इस्तेमाल किया. उन्होंने विक्रांत की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने और एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.
स्वेच्छानुदान के कुछ लाभार्थियों से बात करने पर चौंकाने वाले खुलासे हुए. रानापुर के टेंट कारोबारी सतीश जैन ने कहा, “मैंने कोई आर्थिक सहायता नहीं मांगी. विधायक के कार्यक्रम में टेंट लगाया था, जिसका बिल दिया था. भुगतान किस मद से हुआ, मुझे नहीं पता.” सतीश को तीन बार 10-10 हजार रुपए (9 फरवरी 2023, 16 जून 2023 और 11 सितंबर 2024) और उनकी पत्नी सरिता को 6 जनवरी 2025 को 25 हजार रुपए मिले. उनके छह रिश्तेदारों को भी 80 हजार रुपए की सहायता दी गई. इसी तरह, टेंट कारोबारी विक्की सकलेचा और उनके पांच परिजनों को 80 हजार रुपए मिले.
मथियास का आरोप है कि विधायक ने टेंट कारोबारियों, इलेक्ट्रॉनिक्स व्यवसायियों और होटल संचालकों को उधारी चुकाने के लिए स्वेच्छानुदान की राशि दी, जबकि ये लोग गरीब या छात्र नहीं हैं. झाबुआ में विधायक कार्यालय के पास न्यू बालाजी होटल के संचालक गोविंद बैरागी और उनकी पत्नी पूजा को 10-10 हजार रुपए, साथ ही कर्मचारी भारत को भी 10 हजार रुपए दिए गए.
गोविंद ने कहा, “कार्यालय के लिए जलपान का बिल दिया था. कुछ भुगतान नकद मिला, कुछ खाते में. यह स्वेच्छानुदान से था, हमें नहीं पता. मदद की जरूरत नहीं थी.”
अन्य आरोप
मथियास ने दावा किया कि रानापुर ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष और डॉक्टर दिनेश गाहरी को 5 हजार रुपए सहित कई पदाधिकारियों को स्वेच्छानुदान से भुगतान किया गया. कार्यालय कर्मचारियों का वेतन भी रिश्तेदारों के खातों में डाला गया.
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी जिलाध्यक्ष भानु भूरिया ने मामले की विस्तृत जांच की मांग करते हुए कहा, “डॉ. विक्रांत भूरिया की सदस्यता समाप्त कर उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाए.”
विधायक का जवाब
आरोपों पर डॉ. विक्रांत भूरिया ने कहा, “मैं विधायक हूं. कार्यकर्ता मदद के लिए नाम लाते हैं. मेरा क्षेत्र अधिसूचित और बीपीएल बहुल है, इसलिए परीक्षण जटिल होता है. शिकायतकर्ता मथियास जिलाबदर रहा है और गलत गतिविधियों के कारण पार्टी से निष्कासित है. वह बीजेपी से मिलकर मेरे गरीबों के लिए काम को रोकना चाहता है. मैं दिसंबर 2023 में विधायक बना और अप्रैल 2024 से स्वेच्छानुदान मिला. उससे पहले के आरोप बेबुनियाद हैं. यह शिकायत पूर्वाग्रह से प्रेरित है.”
स्वेच्छानुदान क्या है?
विधायक स्वेच्छानुदान एक व्यवस्था है, जिसमें विधायक को अपने क्षेत्र के गरीबों, छात्रों और दिव्यांगों की मदद के लिए सालाना 75 लाख रुपए खर्च करने का अधिकार होता है. पांच साल के कार्यकाल में यह राशि 3 करोड़ 75 लाख रुपए तक हो सकती है. यह विधायक की इच्छा पर निर्भर करता है.