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इतिहास में ग्रेजुएट, ऑक्सफोर्ड से स्कॉलरशिप, जल सत्याग्रह फिर सियासत… कैसे CM की कुर्सी तक पहुंचीं आतिशी – delhi assembly election know story of cm atishi Graduate in History Scholarship from Oxford ntc


दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्माने लगा है. स्पेशल सीरीज में आज बात दिल्ली की आठवीं और मौजूदा सीएम आतिशी की कहानी आपको बताएंगे. आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं, लेकिन सियासत में उनकी एंट्री की कहानी काफी दिलचस्प है. उससे भी रोमांचक है उनके सीएम बनने का सफर.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई…

आतिशी का जन्म 8 जून 1981 को दिल्ली में हुआ था. उनके पिता विजय सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. आतिशी ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से की. उन्होंने डीयू के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हिस्ट्री से स्टडी की और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में शेवनिंग स्कॉलरशिप पर मास्टर की डिग्री हासिल की. ​​कुछ साल बाद उन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में ऑक्सफोर्ड से अपनी दूसरी मास्टर डिग्री हासिल की. 

NGO और फिर आप नेताओं से मुलाकात

आतिशी ने मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में सात साल बिताए, जहां वो जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणालियों से जुड़ीं. उन्होंने वहां कई गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम किया, जहां उनकी पहली बार AAP के कुछ सदस्यों से मुलाकात हुई और वो पार्टी की स्थापना के समय ही शामिल हो गईं.

ATISHI

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ऐसे शुरू हुआ सफर

अन्ना आंदोलन के बाद जब दिल्ली में बड़ा सियासी उलटफेर हो रहा था और अरविंद केजरीवाल चर्चाओं में थे. इसमें भी आतिशी की अहम भूमिका थी. आतिशी 2013 के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणापत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं. उन्होंने ‘पार्टी के गठन के शुरुआती दौर में इसकी नीतियों को आकार देने’ में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा आतिशी ने पार्टी प्रवक्ता के तौर पर दमखम से पक्ष रखा. केजरीवाल की तरह वो मनीष सिसोदिया की भी करीबी हैं. 

सिसोदिया की सलाहकार भी रहीं आतिशी

आतिशी ने मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम किया और उनकी गैरमौजूदगी में शिक्षा मंत्रालय का भी काम संभाला. इसके अलावा उनको पहचान तब मिलना शुरू हुई जब वो पार्टी प्रवक्ता के रूप में डिबेट में शामिल होने लगी. सोशल मीडिया पर भी वह काफी सक्रिय रहीं , जिससे उन्हें पहचान मिली.

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जल सत्याग्रह ने दिलाई नई पहचान

आतिशी ने 2015 में मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जल सत्याग्रह किया था, जिससे उन्हें एक नई पहचान मिली थी. इस दौरान उनके कई वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें वो तत्कालीन मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मुखर थीं. वे विरोध प्रदर्शनों के साथ-साथ कानूनी लड़ाई के दौरान भी एक्टिव रहीं. 

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2019 में लड़ा पहला चुनाव लेकिन…

2019 आते-आते आतिशी दिल्ली का जाना-माना चेहरा बन गई थीं. उन्होंने पहला चुनाव भी इसी साल लड़ा. पूर्वी दिल्ली से आप ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया. लेकिन गौतम गंभीर के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वो इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रहीं. 

2020 में बनीं विधायक…

साल 2020 में आतिशी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई. कालकाजी सीट से उन्होंने चुनाव लड़ा और बीजेपी प्रत्याशी को हरा दिया. इस जीत के बाद आतिशी का सियासी ग्राफ ऊफान पर आ गया. 2020 के चुनाव के बाद उन्हें आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई का प्रभारी बनाया गया.

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लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया…

दिल्ली में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीती थीं. इसमें 8 महिला विधायक चुनी गई थीं. लेकिन आप ने किसी भी महिला को सीएम नहीं बनाया था. इसकी खूब आलोचना भी हुई थी. लेकिन 2023 आते-आते दिल्ली की सियासत बदल गई. 

आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर कथित घोटाले के आरोप लगे. कुछ जेल गए. इसमें मनीष सिसोदिया का नाम भी शामिल था. लेकिन ये घटनाक्रम आतिशी के लिए वरदान जैसे साबित हुए. उनका कद तेजी से बढ़ा. आतिशी को साल 2023 में पहली बार केजरीवाल सरकार में शिक्षा मंत्री बनाया गया. इसके बाद आतिशी के नाम के आगे एक के बाद एक कई मंत्रालय जुड़ते चले गए. एक समय दिल्ली सरकार में उनके पास सबसे ज्यादा मंत्रालय थे.

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अरविंद केजरीवाल जेल गए और…

कथित शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल जब जेल गए तो आतिशी की सियासत को एक नई पहचान मिली. सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान ये तय हो गया था कि आतिशी अब दिल्ली में तीसरे नंबर की नेता हैं. 

इसके बाद अरविंद केजरीवाल जब जेल से बाहर आए तो उन्होंने अचानक अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. अटकलें लगाई जाने लगीं कि अगला सीएम कौन होगा. कई नाम रेस में माने जा रहे थे. लेकिन विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का ऐलान कर दिया. इस तरह से आतिशी दिल्ली की 8वीं और तीसरी महिला सीएम बन गईं. उनके अलावा सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित दिल्ली की सीएम रही हैं. 



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