Allu Arjun – एक्टर अल्लू अर्जुन पर लगाई गई हैं BNS की ये 2 धाराएं, आजीवान कारावास तक का है प्रावधान – Allu Arjun arrested in death of woman in stampede at Pushpa 2 screening Case Filed Under two sections of BNS ntc
साउथ के सुपरस्टार सुपरहिट फिल्म पुष्पा-2 के एक्टर अल्लू अर्जुन को पुलिस ने उनके घर से गिरफ्तार कर लिया है. 4 दिसंबर को हैदराबाद में पुष्पा-2 के प्रीमियर के दौरान भगदड़ में एक महिला की मौत के केस में अल्लू अर्जुन को गिरफ्तार किया गया है.
इस घटना में 35 वर्षीय महिला की मौत हो गई और उसके नौ वर्षीय बेटे को दम घुटने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसका अभी भी इलाज चल रहा है. इसके बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था.अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए अल्लू अर्जुन ने तेलंगाना हाईकोर्ट का रुख किया था.
पुलिस ने कहा कि मृतक के परिवार की शिकायत के आधार पर अभिनेता अल्लू अर्जुन, उनकी सुरक्षा टीम और थिएटर प्रबंधन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 और 118 (1) के तहत चिक्कड़पल्ली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है.
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बीएनएस की धारा 105
बीएनएस, 2023 की धारा 105, गैर इरादतन हत्या से संबंधित है, जो हत्या के बराबर नहीं है. यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मौत का कारण बनता है, लेकिन उसका पहले से ही उस व्यक्ति को मारने का इरादा नहीं था.
अल्लू अर्जुन पर 105 के तहत सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने और लापरवाही बरतने का आरोप है. इस धारा के तहत कम से कम पांच साल से लेकर दस साल तक की जेल हो सकती है या आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.
बीएनएस की धारा 118 (1)
धारा 118 खतरनाक साधनों का उपयोग करके स्वेच्छा से चोट पहुंचाने या गंभीर चोट पहुंचाने से संबंधित है. पुलिस का मानना है कि 118 (1) के तहत अल्लू अर्जुन की जिम्मेदारी बनती थी कि वो सुरक्षा नियमों का पालन करें और नियमों को नहीं मानने की वजह से इन पर ये धाराएं लगाई गई हैं. 118 (1) के तहत अगर कोई शख्स खतरनाक हथियारों या साधनों का इस्तेमाल करके किसी को चोट या नुकसान पहुंचाता है, तो उस पर कार्रवाई की जाती है.
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धारा 118(1) बीएनएस के तहत अपराधों का जमानतीय या गैर-जमानती के रूप में वर्गीकरण अपराध की विशिष्ट प्रकृति पर निर्भर करता है. यदि धारा 118(1) बी.एन.एस. को गैर-जमानती अपराध के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो अभियुक्त को जमानत का स्वत: अधिकार नहीं होगा. अदालत को निर्णय लेने से पहले अभियोजन पक्ष की दलीलों पर विचार करना होगा. इसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन वर्ष तक की सजा या बीस हजार रुपए तक जुर्माना लग सकता है, या दोनों से ही दंडित किया जा सकता है.