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Atul Subhash suicide case accused wife in laws – लाचार पिता की गुहार, कानूनी पेच और इंसाफ का इंतजार… कहां है अतुल और निकिता का मासूम बेटा, उलझी गुत्थी – Atul Subhash suicide case accused wife in laws interrogation son missing mystery Bengaluru police crime pvzs


Atul Subhash Suicide Case: अतुल सुभाष को खुदकुशी के लिए उकसाने का इल्जाम उनकी पत्नी, सास और साले पर है. जिसके चलते पुलिस ने उन तीनों को गिरफ्तार कर लिया है. उन तीनों को पुलिस पूछताछ के लिए बेंगलुरु लेकर गई है. शुरूआती पूछताछ में अतुल के ससुरालवालों ने इस बात से साफ इनकार किया है कि अतुल की मौत के लिए वे लोग जिम्मेदार हैं. या पैसों के लिए निकिता अपने पति अतुल को परेशान करती थी. इसी बीच एक बड़ा रहस्य सामने आया है कि अतुल और निकिता का 4 वर्षीय बेटा कहां है? ये किसी को पता नहीं है.

अतुल सुभाष के तीन ससुरालवाले पुलिस की कैद में हैं. जिनमें अतुल की सास निशा सिंघानिया, निशा की बेटी और अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया और अतुल का साला अनुराग सिंघानिया शामिल है. कायदे से यही वो तीन किरदार हैं जो बकौल अतुल उसकी मौत की वजह बने. मौत के लिए जिम्मेदार चौथा किरदार, यानि निशा का चाचा सुशील सिंघानिया फिलहाल कानून की गिरफ्त से बाहर है.

23 पन्नों के अतुल के सुसाइड नोट में 2,3,4 और 5 नंबर पर बकायदा इन्हीं चार किरदारों के नाम लिखे हैं. कमाल देखिए कि जब अतुल कि मौत पूरे देश में चर्चा का विषय बनी. उसके वीडियो और सुसाइड नोट वायरल हुए तब अतुल की यही सास और साला अपने घर की बालकनी पर खडे़ होकर मीडिया को डांट लगा रहे थे. फिर यही सास और साले रात के अंधेरे में घर से भाग भी रहे थे. हांलाकि भागते वक्त सासु मां के तेवर बदले हुए थे. वो हाथ जोड़ते हुए जा रही थी. इसके बाद ये दोनों जौनपुर से भागकर प्रयागराज पहुंच जाते हैं.

लेकिन बेंगलुरु पुलिस पूरी तैयारी से यूपी पहुंच चुकी थी. यूपी पुलिस ने भी मदद की. कानून के हिसाब से सबसे पहले अतुल के ससुराल के बाहर कानूनी नोटिस चस्पा किया. ससुराल वालों को तीन दिन की मोहलत दे दी कि खुद पूछताछ के लिए हाजिर हो जाए. पर वो तो पहले ही भाग चुके थे. लेकिन यूपी पुलिस की मदद से आखिरकार बेंगलुरु पुलिस पीछा करते करते प्रयागराज पहुंच जाती है और मां बेटे को गिरफ्तार कर लेती है.

निकिता ने सभी आरोपों को नकारा

उधर, एक दूसरी टीम अतुल की पत्नी निकिता के पीछे थी. अतुल की मौत के बाद से निकिता एक बार भी सामने नहीं आई थी. पुलिस को पता चला कि वो गुरुग्राम में छुपी हुई है. इसी के बाद एक टीम गुरुग्राम से निकिता को गिरफ्तार करती है और इस तरह थाने के अंदर अतुल के ससुराल वाले एक जगह पहुंच जाते हैं. 

अब चूंकि अतुल की खुदकुशी का केस बेंगलुरु में दर्ज था, लिहाजा बेंगलुरु पुलिस तीनों को बेंगलुरु ले जाती है और पूछताछ शुरु हो जाती है. बेंगलुरु पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में अतुल की पत्नी, सास और साले, तीनों ने ही इस बात से इनकार किया कि वो लोग अतुल की मौत के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार हैं. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक अतुल की पत्नी निकिता ने इस बात से साफ इनकार किया कि तलाक के मामले को निपटाने के लिए उसने या उसके परिवार ने अतुल से तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. हालाकि अतुल ने अपने वीडियो में बकायदा 3 करोड़ का जिक्र किया था.

निकिता ने बेंगलुरु पुलिस के सामने पूछताछ में इस बात से भी इनकार किया कि वो पैसों के लिए किसी भी तरह से अतुल को परेशान कर रही थी. निकिता के मुताबिक वो अतुल से पिछले तीन सालों से अलग रह रही थी. अगर उसे अतुल से पैसे ही ऐंठने होते तो वो अतुल से अलग नहीं बल्कि उसके साथ रहती. फिलहाल ये तीनों ही आगे की पूछताछ के लिए बेंगलुरु पुलिस की हिरासत में रहेंगे. 

बच्चे के बारे में नहीं है कोई जानकारी

अब जाहिर है कि निकिता, उसकी मां और और उसका भाई तीनों एक साथ कैद में हैं. तो फिर सवाल ये है कि अतुल और निकिता के चार साले के बेटे की देखरेख कौन करेगा? इस वक्त वो किसके पासे है? कौन उस बच्चे की देखभाल कर रहा है? तो आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि फिलहाल किसी को नहीं पता कि गिरफ्तारी से पहले निकिता ने अपने बेटे को कहां और किसके पास छोड़ा या छुपा कर रखा है.

हांलाकि मरने से पहले अतुल ने बकायदा 23 पन्नों के अपने सुसाइड नोट और एक घंटा 21 मिनट 46 सेकंड के अपने आखिरी वीडियो में ये ख्वाहिश जताई थी कि उसकी मौत के बाद उसके बेटे की परवरिश और उसकी जिम्मेदारी उसके मां-बाप को सौंप दी जाए.

उधर, अतुल के पिता ने भी कहा है कि उन्हें नहीं मालूम कि इस वक्त उनका पोता कहां है. अतुल के पिता ने मांग की है कि बेटे की ख्वाहिश के हिसाब से उन्हें उनके पोते को सौंप दिया जाए ताकि वो उसकी परवरिश कर सकें. अतुल के पिता ने ये भी कहा है कि उनकी उम्र को देखते हुए मुकदमों के दौरान ज्यादा भागदौड़ नहीं कर सकते. लिहाजा, उन्हें जल्द से जल्द इंसाफ मिले. उन्होंने ये भी कहा कि अगर उनके बेटे को इंसाफ नहीं मिला तो वो उसकी अस्थियों को बहाकर आत्मदाह कर लेंगे.

अतुल का लेटर और आखिरी ख्वाहिश

मौत से पहले अतुल का वीडियो जो उसने खुद रिकॉर्ड किया और 23 पन्नों का सुसाइड नोट लगभग हर सोशल मीडिया पर मौजूद है. पर हैरानी इस बात की है कि इसके साथ अतुल ने मरने से पहले कुछ और भी डॉक्यूमेंट्स और लेटर गूगल ड्राइव लिंक पर शेयर किया था. वो भी पब्लिक यानि हरएक के लिए.. लेकिन अब गूगल ड्राइव लिंक से अचानक रहस्यमयी तौर पर दो चीज़ें गायब हो गईं. एक 23 पन्नों का सुसाइड नोट. जस्टिस इज़ ड्यू और दूसरा, जो अतुल ने ‘टू मिलॉर्ड्स’ के नाम से जजों और ज्यूडिशियल सिस्टम पर उंगलियां उठाईं थी वो लेटर भी अब गायब हो चुका है. सोशल मीडिया पर इसे लेकर तमाम बाते हो रही है, इल्जाम लग रहे हैं कि ये सब कुछ जानबूझ कर किया गया है.

कहते हैं मरते हुए इंसान की आखिरी ख्वाहिश जरूर पूरी करनी चाहिए. अतुल सुभाष तो मरने से पहले पूरे देश को ही अपनी ख्वाहिश बता गया है. और उसकी वही ख्वाहिश इस वक्त उसकी अस्थियों की शक्ल में कलश में बंद उसके भाई के हाथों में है. इस कलश के अंदर अतुल की ही अस्थियां हैं. और अतुल की आखिरी ख्वाहिश के हिसाब से उसे तब तक विसर्जित नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे इंसाफ नहीं मिल जाता. अतुल की ख्वाहिश यहीं तक नहीं रुकती. वो आगे कहकर गया है कि अगर अदालत उसे इंसाफ ना दे पाए तो अदालत के बाहर ही किसी गटर में उसकी अस्थियों को बहा दिया जाए.

यानि अतुल ने अपनी अस्थियों को लेकर दो ख्वाहिशें जताई हैं. पहली, फैसला आने तक अस्थियां सहेज कर रखी जाए और दूसरी फैसला हक में ना आने पर कोर्ट के बाहर बहा दी जाए. अतुल तो अपनी ख्वाहिश बताकर दुनिया को अलविदा कह चुका. अब उसके पीछे इस दुनिया में अगर उसकी इन दोनों ख्वाहिशों को कोई पूरी कर सकता है तो वो दो ही लोग हैं- एक अदालत और दूसरा परिवार. फिलहाल परिवार ने अस्थियों को लेकर अपनी शुरुआती राय तो बता दी.

अब बची अदालत. यानि अतुल की आखिरी ख्वाहिश पूरी होगी की नहीं ये अदालत के हाथ में है. क्योंकि अतुल ने अदालत से ही इंसाफ मांगा है. ना सिर्फ इंसाफ मांगा है बल्कि ये तक कह गया है कि अदालत इंसाफ ना दे पाए तो अदालत के बाहर किसी गटर में अस्थियां डाल दी जाए. अतुल ने अपनी मौत के लिए जिन लोगों को जिम्मेदार ठहराया है कायदे से उनके खिलाफ धारा 306 के तहत भी मामला बनता है. यानि खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला. और इस धारा के तहत अधिकतम 10 साल की सजा तय है.

लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों के तहत ये अभी से तय है कि अतुल के ससुराल वालों में से किसी को भी उसकी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा. पत्नी, सास, साला, चाचा कोई भी अतुल को खुदकुशी के लिए उकसाने की धारा में नहीं लिपटेगा. जानते हैं ऐसा क्यों है? दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ कहा है कि आईपीसी की धारा 306 के तहत सिर्फ उन्हीं लोगों को सजा दी जा सकती है जो किसी को खुदकुशी के लिए सीधे तौर पर उकसाते हैं. इतना ही नहीं इस बात के भी पुख्ता सबूत होने चाहिएं कि उकसाने वाला खुदकुशी के दौरान सीधे तौर पर उसकी मौत से जुड़ा हो. मसलन या तो रस्सी का फंदा तैयार किया हो, पिस्टल या गोली मुहैया कराई हो. चाकू का इंतजाम किया हो या जिस वक्त सामने वाला खुदकुशी कर रहा हो और वो वहीं मौजूद हो.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ साफ कहा है कि अगर पति पत्नी के मामले में दोनों अलग अलग रह रहे हो और दूर रहते हुए उनमें से कोई एक खुदकुशी कर ले. तो ऐसे में ये खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला नहीं बन सकता. अगर पति पत्नी में झगड़ा हो और झगड़े के कई घंटे या कई दिन बाद भी अगर दोनों में से अपनी जान दे देता है तो भी ये खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला नहीं माना जाएगा. अदालत का मानना है कि किसी को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में बकायदा इस बात का पुख्ता सबूत होना चाहिए कि उसने किस तरह उकसाया. सिर्फ झगड़ा, विवाद या घरेलू हिंसा को जोड़कर ऐसे मामलों में किसी के खिलाफ सजा नहीं सुनाई जा सकती. अदालत का मानना है वो सबूत जो खुदकुशी के वक्त से जुड़ा हो, वही सबूत होता है.

अब अगर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के हिसाब से देखे तो अतुल के ससुराल वालों को बड़ी राहत मिलने वाली है. अतुल पिछले तीन सालों से अपनी पत्नी निकिता से अलग बेंगलुरु में रह रहा था.. इन तीन सालों में कोर्ट में तारीख पर मुलाकात को छोड़ दे तो दोनों कभी अकेले में नहीं मिले. दोनों के रिश्ते पिछले तीन साल से खराब थे. अब अगर ऐसे में अतुल ने खुदकुशी की तो उस खुदकुशी के वक्त को लेकर अतुल के ससुरालवालों के खिलाफ कम से कम 306 का केस नहीं बनेगा.

अतुल की खुदकुशी से अतुल के ससुराल वालों का कोई डायरेक्ट लिंक नहीं है. इसका सबूत तो खुद अतुल छोड़ गया है. जानते हैं कैसे? मौत से पहले के रिकॉर्ड किए गए अपने वीडियो, 23 पन्नों के सुसाइड नोट और मुक्ति से पहले आखिरी 32 कामों की लिस्ट चिपका कर. ये सारे सबूत अदालत में खुद अतुल के खिलाफ चले जाएंगे. क्योंकि इन सबूतों के जरिए खुद अतुल ने ये साफ कर दिया कि जिस वक्त वो खुदकुशी करने जा रहा था उससे पहले उसकी खुदकुशी से उसके ससुराल वालों का कोई डाय़रेक्ट लिंक नहीं था. ना ही खुदकुशी के लिए सीधे तौर पर उन्होंने कोई चीज मुहैया कराई..

अलबत्ता अतुल ने सुसाइड नोट और वीडियो में एक जगह जरूर इस बात का जिक्र किया था कि एक ताऱीख पर अदालत के अंदर उसकी पत्नी निकिता ने उससे कहा था कि तुम खुदकुशी क्यों नहीं कर लेते और इस बात पर जज हंस पड़ी थी. यानि यहां अतुल सीधे सीधे ये बता रहा है कि एक तरह से उसकी पत्नी ने उसे खुदकुशी के लिए उकसाया था तो क्या इस सूबत के बिनाम पर अतुल को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में निकिता के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत केस नहीं बनता. तो जवाब है शायद नहीं. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से निकिता ने अगर ऐसी बात कही भी थी तो साल दो साल पहले कही थी. साल दो साल बाद अतुल की खुदकुशी के लिए उस वजह को सही नहीं ठहराया जा सकता.

वैसे आईपीसी की धारा 306 को छोड़ दें तो अतुल ने मरने से पहले अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर जबरन वसूली, धमकी, मानसिक यातना जैसे और भी इल्जाम लगाए हैं. हो सकता है इनमें से किसी मामले में अतुल के ससुराल वालों को दोषी भी ठहरा दिया जाए. लेकिन इससे भी अतुल को इंसाफ नहीं मिलता. क्योंकि उसकी सबसे बड़ी मांग तो यही थी कि उसकी मौत के लिए उसका ससुराल जिम्मेदार है. और मौत के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से ससुराल वालों को सजा दी ही नहीं जा सकती.

तो इसलिए शुरु में कहा था कि क्या अतुल की आखिरी ख्वाहिश अधूरी रह जाएगी. क्यो कोर्ट उसे इंसाफ नहीं दे पाएगा. और सबसे बड़ा सवाल ये कि फिर क्या ऐसी सूरत में अदालत ना सही अतुल का अपना परिवार उसकी ख्वाहिश पूरी कर पाएगा. यानि क्या कलश में बंद की अतुल की इन अस्थियों को अदालत के सामने ही किसी गटर में डाल दिया जाएगा?



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