Deva Review: शाहिद की दमदार एक्टिंग ने बनाया माहौल, पर इस मसाले में फीका है एंटरटेनमेंट का स्वाद – deva review shahid kapoor does heavy lifting with powerful act but mass masala entertainer lacks the zing ntcpsm
2023 में बॉलीवुड की मास फिल्मों ने साल भर जो धमाका किया, उसी की देन है कि पिछले साल से ही इंडस्ट्री का हर प्रोडक्शन हाउस एक परफेक्ट मसाला एंटरटेनर खोज रहा है. शाहिद कपूर ने ‘कमीने’, ‘हैदर’ और ‘आर राजकुमार’ जैसी कई फिल्मों में दिखा दिया है कि उनके अंदर वो एक ‘सनकीपन’ भरी एनर्जी है, जो मास किरदारों को दमदार बनाती है.
किरदारों में डार्क शेड हो तो शाहिद की परफॉरमेंस और भी उभर कर आती है. ‘देवा’ का ट्रेलर ही बता रहा था कि शाहिद को इस बार एक डार्क शेड वाला किरदार मिला है. तो क्या ‘देवा’ वो मसाला एंटरटेनर है जिसका वादा फिल्म के टीजर और ट्रेलर कर रहे थे?
कहानी
‘देवा’ में शाहिद कपूर एक गर्म दिमाग वाले, ऑलमोस्ट सनकी कॉप, देव आम्ब्रे के रोल में हैं. उसे सिस्टम की कोई परवाह नहीं. गुस्से और गन के ट्रिगर, दोनों पर देवा का कंट्रोल बहुत लूज है. अपने बचपन के दोस्त और साथी ऑफिसर रोहन (पवेल गुलाटी) की हत्या होने के बाद देवा का दिमाग घूम जाता है. रोहन के हत्यारे को वो जिस तरह खोज रहा है, वो एक पुलिस ऑफिसर से ज्यादा एक गैंगस्टर का तरीका है.
कहानी में ट्विस्ट ये है कि देवा अपने सीनियर को फोन पर बोलता है कि उसने रोहन का केस सुलझा लिया है और उसे पता है कि हत्यारा कौन है. मगर तभी उसका एक्सीडेंट हो जाता है. हॉस्पिटल के बेड से जब देवा उठता है तो उसकी याद्दाश्त जा चुकी है. उसे अब रोहन के केस और उसके हत्यारे के बारे में कुछ भी याद नहीं. उसका सीनियर उसकी ढाल बनता है और किसी को पता नहीं चलने देता कि उसके साथ क्या हुआ है. अब देवा को फिर से केस सुलझाना है और पता करना है कि रोहन को गोली किसने मारी. क्या याददाश्त खो चुका देवा फिर से केस सॉल्व कर पाएगा? क्या इस केस में कुछ ऐसा है, जिसका बाहर आना पूरी कहानी बदल देगा? यही ‘देवा’ का मुद्दा है. यहां देखिए ‘देवा’ का ट्रेलर:
फिल्म का अच्छा-बुरा
‘देवा’ में सबसे बेहतरीन चीज शाहिद कपूर की परफॉरमेंस है. एक सनकी टाइप कॉप के किरदार में उनकी एनर्जी और बॉडी लैंग्वेज देखने लायक है. किरदार के हिसाब से उन्होंने अपने बोलने के अंदाज में जो बदलाव किया है, वो बहुत इंटेंस लगता है और उनकी परफॉरमेंस को दमदार बनाता है. मगर उनकी परफॉरमेंस के साथ फिल्म की राइटिंग पूरी तरह न्याय नहीं कर पाती.
एक एक्शन एंटरटेनर में सबसे पावरफुल चीज एक्शन होनी चाहिए. मगर ‘देवा’ का एक्शन वो रोंगटे खड़े कर देने वाला फील नहीं डिलीवर कर पाता को एक मास किरदार को दमदार बनाता है. एक्शन सीन्स शूट अच्छे से हुए हैं मगर राइटिंग में जिस तरह शाहिद के एक्शन का बिल्डअप होना चाहिए था, उनके किरदार को जो एलिवेशन मिलना चाहिए था, वो कहानी में मिसिंग है. एक दिक्कत ये है कि स्क्रिप्ट हमेशा देवा से एक ही तरह के मूड में रहने की डिमांड करती है. इसलिए, उसका गुस्से में आना किसी विस्फोटक मोमेंट की तरह स्क्रीन पर नहीं उतरता.
फिल्म की पेस और राइटिंग में दिक्कतें
‘देवा’ की पेसिंग में भी दिक्कत है, फर्स्ट हाफ में फिल्म की पेस घटती-बढ़ती लगती है. कहानी की राइटिंग कुछ यूं है कि देवा लगभग पूरे समय स्क्रीन पर बना रहता है और बाकी किरदारों के नजरिए से उसकी इमेज एक्सप्लोर नहीं हो पाती. पूजा हेगड़े के साथ शाहिद की लव स्टोरी का एंगल भी सही से एक्सप्लोर नहीं हुआ और ये रोमांस कहानी में कोई योगदान नहीं दे पाता. देवा और रोहन का रिलेशनशिप भी फिल्म बहुत अच्छे से नहीं निभा पाती. रोशन एंड्रूज के डायरेक्शन में ये एक बड़ी कमी है जो एक मास हीरो के ट्रीटमेंट को जस्टिफाई नहीं कर पाती.
एक्सीडेंट के बाद वाले देवा का फिर से केस इन्वेस्टिगेट करना फिल्म का सबसे बड़ा हुक होना चाहिए था. मगर ये भी उतनी दिलचस्पी नहीं जगा पाता, जितनी इस हिस्से में होनी चाहिए थी. फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट में पवेल गुलाटी का काम इम्प्रेस करता है. जिन सीन्स में वो शाहिद के साथ हैं उनमें पवेल की इंटेंसिटी कमाल लगती है. प्रवेश राणा ने भी कॉप के रोल में अच्छा काम किया है. कुबरा सैत के किरदार को फिल्म ने मौका नहीं दिया, वो अपने लिमिटेड रोल में दमदार लग रही थीं. पूजा हेगड़े का भी स्क्रीनटाइम कम है, लेकिन वो किरदार की जरूरत को पूरा करती हैं. कहानी के एक क्रिटिकल मोड़ पर जब उपेन्द्र लिमये शार्प शूटर बनकर आते हैं, तो स्क्रीन की चमक ही जैसे बढ़ जाती है.
‘देवा’ के बारे में कुल मिलाकर कहा जाए तो इसमें एक अच्छी मसाला एंटरटेनर होने का चांस पूरा था. कहानी के ट्विस्ट का ट्रीटमेंट और अच्छा होता तो ‘देवा’ बहुत मजबूत फिल्म बन जाती. फिलहाल इसका ट्रीटमेंट इसे एक औसत मसाला एंटरटेनर बनाता है, जो निराश तो नहीं करती मगर इसमें ‘वाओ’ मोमेंट्स की कमी खलती है. सिर्फ शाहिद को मास स्टाइल में स्क्रीन पर देखने के लिए ही इस फिल्म का टिकट खरीदा जा सकता है.