Eknath Shinde – जब शपथ लेते वक्त शिंदे ने की उद्धव वाली ‘गलती’, तब मुख्यमंत्री ने सदन में दिया था जवाब – When eknath Shinde made Uddhav Thackery mistake while taking oath Chief Minister had to give clarification in 2019 ntc
मुंबई के आजाद मैदान में गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. वह तीसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने हैं. उनके साथ एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने भी उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. तीनों नेताओं ने मराठी में शपथ ग्रहण की. इस दौरान एकनाथ शिंदे ने शपथ ग्रहण से पहले बालासाहेब ठाकरे, आनंद दिघे, पीएम मोदी और अमित शाह का नाम लिया. कुछ ऐसा ही 2019 में उद्धव ठाकरे ने भी किया था.
दूसरे नंबर पर शिंदे ने ली शपथ
2019 में भी एकनाथ शिंदे ने शपथ ग्रहण से पहले बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे का नाम लिया था. गुरुवार को मुंबई के आजाद मैदान में एकनाथ शिंदे देवेंद्र फडणवीस के बाद दूसरे नंबर पर शपथ ग्रहण के लिए माइक पर आए. राज्यपाल उन्हें शपथ दिलाने के लिए बोलने ही वाले थे कि शिंदे ने मराठी में बालासाहेब ठाकरे, आनंद दिघे, पीएम मोदी और अमित शाह का नाम लिया. फिर राज्यपाल ने उन्हें टोका और दोबारा शपथ शुरू करवाई.
2019 में उद्धव ने भी की थी ‘गलती’
यह भी दिलचस्प है कि एकनाथ शिंदे, जो खुद शिवसेना के प्रमुख हैं, अपनी शपथ ग्रहण की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का नाम लेकर कर रहे हैं. हालांकि यह नियमों के विपरीत है. कुछ ऐसा ही नजारा 2019 में भी देखने को मिला था जब उद्धव ठाकरे ने छत्रपति शिवाजी महाराजा और माता-पिता का नाम लेकर शपथ की शुरुआत की थी.
शपथ से पहले शिवाजी महाराज और माता-पिता का लिया नाम
महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने जैसे ही उद्धव को शपथ दिलाने के लिए ‘मैं’ शब्द बोला, माइक पर उद्धव ठाकरे ने शपथ ग्रहण से पहले छत्रपति शिवाजी महाराज और अपने माता-पिता का नाम लिया. इसके बाद जब एनसीपी के नेता शपथ ग्रहण के लिए आए तो उन्होंने अपने नेता शरद पवार का नाम लिया.
जब बीजेपी ने इस पर सवाल उठाए तो जवाब देते हुए तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में कहा कि हां मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर शपथ ली. मैंने अपने माता-पिता के नाम पर भी शपथ ली. अगर यह अपराध है तो मैं इसे फिर से करूंगा. एक नहीं 10 बार करूंगा.
विशेषज्ञ ने बताया क्या है शपथ का नियम
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान किसी को भी आधिकारिक स्क्रिप्ट से हटने की अनुमति नहीं है. ऐसे कई उदाहरण हैं जब एक गलती के कारण नेताओं को दूसरी बार शपथ लेनी पड़ी. संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्य ने आजतक को बताया, ‘संविधान की तीसरी अनुसूची में शपथ का एक प्रारूप दिया गया है. हर किसी को इसका अक्षरश: पालन करना होता है. आप न तो कुछ जोड़ सकते हैं और न ही कुछ घटा सकते हैं.’
उन्होंने कहा कि शपथ में कुछ भी जोड़ने या हटाने की स्थिति में शपथ अमान्य मानी जाती है. शिंदे के मामले में भी राज्यपाल ने उन्हें दोबारा शपथ शुरू करने के लिए कहा. शिंदे की शपथ अमान्य नहीं थी लेकिन यह प्रोटोकॉल का पालन नहीं करती. पीडीटी आचार्य ने कहा, ‘शपथ ग्रहण समारोह में शपथ के शब्दों से अतिरिक्त कोई भी बात रिकॉर्ड में नहीं जाती है.’