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Hassan Nasrallah Funeral – बेरूत में दूसरी बार दफन हुए हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह, आसमान में दिखे इजरायल के लड़ाकू विमान – Hezbollah Chief Hassan Nasrallah funeral after Five months of death draws massive emotional crowd opnm2


हिज्बुल्लाह के चीफ रहे हसन नसरल्लाह को बेरूत के कैमिली चामौन स्पोर्ट्स सिटी स्टेडियम में अंतिम विदाई दी जा रही है. इस दौरान वहां हजारों की संख्या में लोग मौजूद हैं. इजरायल ने नसरल्लाह को 27 सितंबर को लेबनान की राजधानी बेरूत में हवाई हमले में मार गिराया था. उसके करीब 5 महीने बाद उनको दोबारा दफनाया जा रहा है. यहां मौजूद हिज्बुल्लाह के महासचिव शेख नईम कासिम ने नसरल्लाह के रास्ते पर चलने की कसम खाई है.

स्टेडियम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए शेख कासिम ने कहा, ”हम हर वादे का पालन करेंगे और शहीद सैय्यद हसन नसरल्लाह के रास्ते पर चलते रहेंगे. भले ही हम सभी मारे जाएं. हम अपने दुश्मनों की कैद मौजूद अपने लोगों को नहीं भूलेंगे. उन्हें छुड़ाने के लिए दुश्मन पर हर संभव दबाव डालेंगे.” नसरल्लाह को ऐतिहासिक, असाधारण, इस्लामी नेता और दुनिया भर में उत्पीड़ित लोगों के लिए स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में श्रद्धांजलि दी गई.

वहीं, इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करके लिखा है कि हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार के दौरान इजरायली जेट आसमान में लगातार उड़ान भर रहे थे. उन्होंने बयान में कहा, “हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार के दौरान बेरूत के ऊपर उड़ान भरने वाले इजरायली वायु सेना के विमान स्पष्ट संदेश दे रहे हैं. कोई भी इजरायल को नष्ट करने की धमकी देता है और हमला करता है, तो उसका अंत निश्चित है.”

IDF
बेरूत के आसमान पर उड़ान भरते इजरायल के लड़ाकू विमान

बताते चलें कि साल 1960 में बेरूत के एक मोहल्ले में जन्मे नसरल्लाह 9 भाई-बहनों के बीच बड़े हुए थे. उनके पिता की एक सब्जी की दुकान थी. बचपन में ही उन्होंने धार्मिक अध्ययन के प्रति अपनी रुचि दिखाई. 16 साल की उम्र में वे अब्बास अल-मुसावी की नजर में आए, जो बाद में हिज्बुल्लाह के नेता बने. साल 1992 में जब इजरायल ने मुसावी की हत्या की, तो नसरल्लाह को हिज्बुल्लाह का नेतृत्व सौंपा गया. उस समय वो 32 साल के थे.

बहुत जल्द हसन नसरल्लाह ने हिज्बुल्लाह को एक शक्तिशाली संगठन में बदल दिया. उनके नेतृत्व में हिज्बुल्लाह सिर्फ एक सैन्य संगठन नहीं, बल्कि लेबनान की राजनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा. साल 2006 में इजरायल के साथ युद्ध के बाद नसरल्लाह ने अपना जीवन गुमनामी में बिताना शुरू कर दिया. वे ज्यादातर सार्वजनिक तौर पर नहीं दिखते थे. सिर्फ बड़े-बड़े स्क्रीन पर भाषण देते थे. लोग उनकी बातों से बहुत प्रभावित होते थे.



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