India’s Got Latent विवाद पर बोले स्वानंद किरकिरे- उन्हें माफ कर देना चाहिए – swanand kirkire on indias got latent controversy samay raina ranveer allahbadia lucknow sahitya aaj tak 2025 tmovk
लखनऊ में एक बार ‘साहित्य आजतक’ का मंच सज चुका है. साहित्य के सितारों का महाकुंभ, जिसका आगाज उत्तर प्रदेश की राजधानी में आज हो चुका है. अलग-अलग विधाओं के कलाकारों और सितारों की यह महफिल 15 और 16 फरवरी को गोमती नगर के अंबेडकर मेमोरियल पार्क में सजी रहेगी. साहित्य के मंच पर अभिनेता, गायक, कवि और गीतकार स्वानंद किरकिरे पहुंचे. उन्होंने सुर्खियों में आई ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ कॉन्ट्रोवर्सी पर बात की.
‘बंदे में था दम…वन्दे मातरम’ और ‘बहती हवा सा था वो…’ के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके स्वानन्द किरकिरे किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं. उन्होंने गीत लिखे भी और गाए भी. वह एक कथाकार, पटकथा लेखक, निर्देशक और डायलॉग राइटर के अलावा एक एक्टर भी हैं. अभी हाल ही में आई फिल्म ‘थ्री ऑफ अस’ में आपकी एक्टिंग को काफी सराहा गया. ‘ओ री चिरैया…’, ‘बंदे में था दम…’ और ‘पीयू बोले…’ जैसे गीतों के लिए स्वानंद को काफी सराहा गया. इसके अलावा आपने ‘बर्फी’, ‘इंग्लिश विंग्लिश’, ‘फ़ितूर’, ‘शमिताभ’, ‘सिंहम’, ‘विकी डोनर’, ‘ओह माय गॉड’, ‘सत्यमेव जयते’ आदि के लिए या तो गीत लिखे या अपनी आवाज, या फिर दोनों दिया. आप ‘हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी’, ‘चमेली’, ‘एकलव्य’ और ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ जैसी फिल्मों के अलावा ओटीटी पर कई धारावाहिकों में एक्टिंग भी कर चुके हैं.
कवि के तौर पर खुद को कहां पाते हैं?
मैंने खुद को ऐसे कभी कवि नहीं माना. मैं थियटर से आया हुआ आदमी हूं. मैं फिल्मों में आया और फिल्मों के लिए मैंने गीत लिखे. फिल्म को किस तरह का गीत चाहिए, तो वो में लिख देता हूं. मैं फिल्मों के लिए अगर गीत लिखता हूं तो हर बार गीतों की भाषा बदली. थोड़ी-थोड़ी चरित्रों के हिसाब से वक्त के हिसाब से चीजें बदलीं.
सस्ता साहित्य कौन तय करता है?
जब तक कोई अलग बात न करे, तब तक हमारी नजर नहीं जाती है. सोशल मीडिया पर मेरी कई कविताएं हैं और लोगों ने उन्हें प्यार दिया है. कई कविताओं के तो गीत भी बन गए. हर किसी की ख्वाहिश है कि कुछ कहना है, लेकिन कहने के लिए कुछ है नहीं.
रणवीर इलाहबादिया के कॉमेंट पर किया रिएक्ट
जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था. एक मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए था. दरअसल, हुआ ये कि कैमरा हमारी जिंदगी में आया और हमें पता ही नहीं चला कि जब दोस्तों के बीच करने वाली बातें और पब्लिकली करने वाली बातें, दोनों के बीच फर्क क्या है. वो कैमरा के सामने कुछ हो गया और वो डाल दिया. लोगों ने हंस दिया. आपको लगा कि यही हम करेंगे, लेकिन ये कुछ चीजें होती हैं जो प्राइवेट में की जाती हैं. हमें तो प्राइवेट में भी नहीं करनी चाहिए इस तरह की बातें. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो बाहर आने की नहीं होती. पर मुझे इसपर भी ये लगता है कि उनको माफ कर देना चाहिए, क्योंकि माफी मांग ली गई है. ऐसा बहुत कुछ है इस देश में जो कहा गया है जो नहीं कहना चाहिए था, और गलत था, वो कहा गया है. उन्होंने गलत किया. हमारे देश को जो उन्हें सजा देनी थी वो दे दी. उन लोगों ने माफी भी मांग ली. अब इस बात पर इसको बंद कर देना चाहिए. वो चैनल भी चला गया, मैं उसको सपोर्टर भी नहीं हूं, कभी भी.
मैंने आज से 6 महीने पहले भी इस बात को कहा था कि कॉमेडी का मतलब सिर्फ रोस्ट करना नहीं होता या किसी को जलील करना नहीं होता. फेमस होने की ख्वाहिश में कोई रोस्ट कर रहा है और मुझे फेमस होना है, इसलिए मैं वहां रोस्ट करवाने पहुंच गया. इसका मतलब ये नहीं कि दोनों एक्ट सही हैं. दोनों गलत हैं. आगे इन बातों को ध्यान रखा जाना चाहिए और उन्हें माफ कर देना चाहिए. कानूनों से नियंत्रण नहीं होना चाहिए. इसलिए कंटेंट क्रिएटर ने जिम्मेदारी से अपना काम करना चाहिए.
अपनी कविताएं नहीं रहती याद
स्वानंद किरकिरे को खुद की कविताएं याद नहीं रहती हैं. लेकिन गुलजार साहब की कविताएं बखूबी याद रहती हैं. स्वानंद ने कुछ कविताएं पढ़कर भी सुनाईं.
आइटम सॉन्ग कभी लिखा है?
आइटम सॉन्ग मैंने अपनी जिंदगी में नहीं लिखे. मैंने कोशिश की है, लेकिन मेरे से हुआ नहीं. मैं उस तरह से चीजों को नहीं देख पाता हूं कई बार. आइटम सॉन्ग मेरी जॉनर नहीं. मैं वो नहीं कर सकता हूं. आगे का पता नहीं.
शुरू से ऐसे ही रहे हैं इसी अंदाज में?
मैं हमेशा वो करता रहा हूं जो मुझे करना है. लोगों ने मुझे कहा कि आप फिल्मों में जाएंगे तो आपको लोगों से मिलना होगा, मैंने कभी नहीं किया ये सब. मैंने कमरे में बैठकर गीत लिखे. ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी’ के लिए मैंने गीत लिखे थे. फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने केके मेनन को गाना सुनाया था तो उन्होंने सब जगह गाना शुरू किया. इस तरह से मेरे गाने फिल्मों में आना शुरू किया. भले ही देर हो सकती है, लेकिन अगर आपकी बात में सच्चाई है तो लोग आपको जानेंगे-पहचानेंगे. ‘बावरा मन’ मैंने गीत अपने लिए लिखा था.